रासायनिक कीटनाशकों के बुरे प्रभाव के चलते खेती में जैविक खाद का उपयोग बढ़ता ही जा रहा है, इसी कड़ी में वर्मीकंपोस्ट( केंचुआ खाद) के इस्तेमाल का महत्व भी बहुत ज्यादा बढ़ा है,। केंचुओं से बनी खाद में भारी मात्रा में जीवांश कार्बन, लाभकारी सूक्ष्मजीव व पौधों के लिए उपयोगी तत्व भी पाए जाते हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की किसान इस खाद को अपने घर पर ही आसानी से बना सकते हैं और यही वजह है किसानों की दिलचस्पी वर्मीकंपोस्ट के बिजनेस (vermicompost business ) में तेज़ी से बढ़ी है।
सुशील उपाध्याय ने वर्मीकंपोस्ट से कमा रहे लाखों रुपए
राजस्थान के भीलवाड़ा गांव के उद्यमी किसान सुशील उपाध्याय ने वर्मीकंपोस्ट की खाद तैयार करके बंपर मुनाफा कमाने का साबित किया है। उन्होंने बताया कि वहने बेड तैयार किए थे, जिनमें करीब चार लाख रुपए का निवेश किया गया। तीन महीनों के संघटन के बाद, वे खाद तैयार कर चुके थे और इसे अपनी फसलों में उपयोग करने के साथ-साथ उसकी बिक्री भी कर रहे थे। उन्होंने बताया कि उन्हें इस खाद की बिक्री से लाखों का मुनाफा हो रहा है।
सुशील उपाध्याय ने यह भी बताया कि उन्होंने केंचुआ खाद को खुद ही तैयार करने का निर्णय लिया था और उन्होंने इसमें मेहनत और समर्पण दिखाया। वे खेत पर खुद ही काम करते हैं और अपने अनुभवों को साझा करके अन्य किसानों को भी प्रेरित कर रहे हैं।
खीरा-ककड़ी वाली फसल दे रही बढ़िया मुनाफा
सुशील उपाध्याय आगे बताते हैं कि उन्होंंने ग्रीन हाउस में खीरा-ककड़ी की फसल लगाई है. उसपर जैविक खाद का उपयोग किया है. फसल की पैदावार इस बार अच्छी हुई है. फसल के साथ-साथ वर्मीकंपोस्ट की बिक्री से भी अच्छी कमाई कर रहा हूं. फिलहाल उनके पास डेढ़ लाख रुपए कीमत का केंचुआ खाद तैयार कर लिया है. इस खाद को आसपास के ग्रीन हाउस के किसान खरीद कर ले जा रहे हैं.
केंचुआ बनाने की दे रहे हैं ट्रेनिंग और उपाय
प्रगतिशील किसान सुशील उपाध्याय क्षेत्र के किसानों को जैविक खेती के फायदे बताने के साथ-साथ अच्छी गुणवत्ता का केंचुआ खाद तैयार करना भी सिखा रहे हैं। फिर इस खाद को किस तरह फसल में उपयोग करना है ये भी बता रहे हैं।
ऐसे तैयार करते केंचुआ से बनी खाद
केंचुआ खाद पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है. यह केंचुआ कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे आदि को विघटित करके बनाई जाती है। वर्मी कम्पोस्ट में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर नहीं बढ़ते है तथा वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। बेड पर केंचुए को डालने के बाद उसके ऊपर गोबर और कचरे को डाला जाता है। तीन महीने में केंचुए खाद तैयार हो जाता है।
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