दोस्तों ये तो हम सभी जानते है की मुग़ल सत्ल्नत किसी दौर में हिंदुस्तान की सबसे बड़ी और सबसे ताक़तवर सल्तनत थी जिस सल्तनत को 1857 में अंग्रेजों ने हिंदुस्तान में ही मौजूद गद्दारों की मदद से ख़तम कर दिया था, तो दोस्तों आज हम जानेंगे की आखिर मुग़ल खानदान आजकल कहाँ है यानि 1857 में अंग्रेजों ने जब इस सल्तनत को ख़तम किया था तो मुग़ल सल्तनत के आखिरी सुल्तान यानि बहादुर शाह और उनकी औलाद के साथ क्या किया गया था क्या उसी वक़्त उनके पुरे खानदान को ख़तम कर दिया गया था या फिर आज भी इस दुनियां में कोई ऐसा इन्सान मौजूद है जो उन की नस्लों से ताल्लुक रखता है.
दोस्तों ख्वाजा हसन निजामी ने अपनी किताब बेगमात के आंसू में 1857 की मुगलों की वो दर्दभरी कहानी ज़िक्र की है उन्होंने अपनी किताब में लिखा है की 1858 में जब अंग्रेजो ने मुग़ल सल्तनत को हिंदुस्तान से पूरी तरह ख़तम कर दिया था और दिल्ली पर भी अंग्रेजो का पूरी तरह कब्ज़ा हो गया था तो उन्होंने मुग़ल सल्तनत के आखिरी सुलतान यानि बहादुर शाह ज़फर को उन के पुरे खानदान के साथ लाल किले की एक छोटी सी कोठरी में ही क़ैद कर दिया था बहादुर शाह जफ़र को उनके पुरे खानदान क़ैद किये जाने के कुछ दिन बाद ही अंग्रेजो ने बहादुर शाह के 21 बेटों में से 18 बेटों को बड़े ही बेदर्दी के साथ क़त्ल कर दिया, अंग्रेजो के इस दर्दनाक जुल्म से बहादुर शाह ज़फर के सिर्फ 3 ही बेटे बाख पाए थे जिन में से एक का नाम मिर्ज़ा जवान बख्स दुसरे का नाम मिर्ज़ा शाह अब्बास और तीसरे का नाम किस्मत बेग था और इन्ही 3 बेटों ने ही बहादुर शाह ज़फर यानि मुग़ल खानदान की नस्लों को आगे बढ़ाया था.
बहादुर शाह ज़फर के क़त्ल किये गये 18 बेटों में से 3 बेटों के सरों को उन के जिस्म से काटकर डेल्ही के खुनी दरवाजे पर लटका दिया था ताकि इन सरों को देखकर हिंदुस्तान रहने वाला हर इन्सान डर कर अंग्रेजो के खिलाफ बगावत न करें, दोस्तों जब इस खतरनाक हैवानियत से अंग्रेजो का पेट नहीं भरा तो उन लोगों ने इस बूढ़े सुल्तान यानियो बहादुर शाह पर भी मुक़दमा चलाया लाल किले में 44 दिनों तक लगातार ये मुक़दमा चलता रहा और आखिर कार बूढ़े और बीमार 80 साल के बहादुरशाह ज़फर को मौत की सज़ा सुनाई गयी जैसे ही बहादुर शाह ज़फर की मौत की खबर पुरे हिन्दुस्तान में फैली तो लोगों ने उस का विरोध करना शरू कर दिया अंग्रेजों ने देखा जब हालत बिगड़ते जा रहे है तो उन्होंने बहादुर शाह ज़फर की मौत की सज़ा दी उस को जिला वतनी में बदल दिया यानि अब ये आर्डर जरी किया गया की बहादुर शाह ज़फर को फांसी नही दी जाएगी लेकिन इन को अपने पुरे खानदान के साथ हिंदुस्तान से निकाल दिया जायेगा.
मुग़ल सल्तनत के आखिरी सुलतान यानि बहादुर शाह ज़फर को उनकी एक बीवी जिस का नाम जीनत महल था और उन के 2 बेटे जिनमे से एक का नाम मिर्ज़ा जवान बख्स और दुसरे का नाम शाह अब्बास था उन के साथ हिंदुस्तान से निकाल दिया गया हिंदुस्तान से निकले जाने के बाद बहादुर शाह ज़फर ने अपनी बीवी और अपने दोनों बेटों के साथ बाकी बची हुई ज़िन्दगी ब्रम्हा में गुजारी.
बहादुर शाह ज़फर ये तमाम दिन बड़े ही दर्द भरे थे बहादुर शाह ज़फर इतने गरीब हो चुके हते के उन के पास खाने पीने तक के लिए पैसे नहीं थे, आख़िरकार 1862 में जब मुग़ल सल्तनत के आखिरी सुल्तान यानि बहादुर शाह जफ़र का ब्रम्हा के रंगून में इन्तेकाल हुआ तो अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफ़र के दोनों बेटे यानि मिर्ज़ा जवान बख्श और मिर्ज़ा शाह अब्बास को सिर्फ इस शर्त पर जिंदा रखा की वो कभी भी हिन्दुतान नहीं आयेंगे लिहाज़ा बहादूर शाह ज़फर के दोनों बेटों ने अंग्रेजों की ये शर्त मान ली थी, क्यूंकि दोस्तों अंग्रेजो को ये डर था अगर ये दोनों बेटे हिंदुस्तान में आयेंगे तो मुग़ल सल्तनत के आखिरी सुल्तान यानि बहादुर शाह ज़फर की औलाद हिने के नाते ये हमारे खिलाफ बगावत कर सकते है.
Real History Of Last Mughal Family
दोस्तों इसी डर से अंग्रेजो ने बहादुर शाह ज़फर के इन दोनों बेटो को हिंदुस्तान कभी नही आने दिया और इन दोनों बेटों ने अपनी पूरी जिंदगी ब्रह्मा के इलाके में ही गुज़र दी थी.
दोस्तों इतिहास के पन्नो को पलटने पर ये मालूम चलता है की बहादुर शाह ज़फर के इन दोनों बेटो में से शाह अब्बास ने रंगून में ही शादी कर ली थी और उन की बहुत साडी ओलादे हुई थी आज के दौर में वो औलादे गरीबी की वजह से बहुत ही बुरी ज़िन्दगी गुज़ार रही है.
आपको जानकर शायद हैरानी होगी की शाह अब्बास की औलादे इतनी ज्यादा गरीब है की आज के दौर में वो रंगून के एक बदबूदार गलियों के इलाके में झुग्गियों में रहने पर मजबूर है.
mughal family now,
दोस्तों वही दूसरी तरफ बहादुर शाह ज़फर के पहले बेटे यानि मिर्ज़ा जवान बख्श की सिर्फ एक औलाद थी जिसका नाम था मिर्ज़ा जमशेद बख्श, मिर्ज़ा जवान बख्श की बीवी नवाब जमानी बेगम के पेट से पैदा हुए थे 1884 में जब जिगर की बीमारी की वजह से बहादुर शाह जफ़र के पहले बेटे मिर्ज़ा जवान बख्स का इन्तेकाल हुआ था तो उस के कुछ ही दिनों के बाद मिर्ज़ा जवान बख्श की बीवी यानि जमानी बेगम का भी इन्तेकाल हो गया अब मिर्ज़ा जवान बख्श का बेटा यानि बहादुर शाह जफ़र का पोता तनहा रह गया था मिर्ज़ा जमशेद बख्श अपने वालिद मिर्ज़ा जवान बख्श और अपनी माँ जमानी बेगम के इन्तेकाल के बाद इंडिया वापस आ गये थे क्यूंकि उस वक़्त तक हिन्दुस्तान के हालत कुछ अच्छे हो चुके थे.
मिर्ज़ा जमशेद बख्श ने हिन्दुस्तन में आकर नादिरा बेगान नाम की एक औरत से शादी कर ली जिन से उनकी सिर्फ एक ही औलाद पैदा हुई जिस का नाम तारिख के पन्नो में मिर्ज़ा बेदार बख्श बताया जाता है, दोस्तों अभी मिर्ज़ा बेदार बख्श बहुत ही कम उम्र के थे अचानक से उन के सर से उन के माँ बाप का साया उठा गया था, यानि वो अनाथ हो गये थे अपने माँ बाप के इस दुनियां से चले जाने के बाद मिर्ज़ा बेदार बख्श ने छोटे मोटे काम कर के अपनी ज़िन्दगी गुज़ारना शुरू कर दी थी, लेकिन इस दौरान वो अपनी पहचान छुपाये रहे, यानि किसी को भी ये पता नही चलने दिया की ये मिगल सल्तनत के आखिरी सुलतान बहादुर शाह ज़फर की औलाद में से है लेकिन जब हिन्दुस्तान के आज़ाद होने के बाद धीरे धीरे लोगों को मर्जा बेदार बख्श की पहचान के बारे में मालूम चला और लोगों ने ये जान लिया की मिर्ज़ा बेदार बख्श मुग़ल सल्तनत के आखिरी सुल्तान बहादुर शाह ज़फर के पड़पोते है तो मिर्ज़ा बेदार बख्श को भारत सरकार की तरफ से बहादुर शाह ज़फर के पड़पोते की हैसियत से महीने पर पेंशन मिलने लगी 1950 में मिर्ज़ा बेदार बख्श ने सुल्ताना बेगम नाम की एक औरत से शादी कर ली सुल्ताना बेगम से मिर्ज़ा बेदार बख्श के 6 बच्चे पैदा हुए जिन में से 5 बेटियां और एक बेटा था.
दोस्तों मिर्ज़ा बेदार बख्श जब तक इस दुनियां में ज़िदा रहे तब तक तो भारत सरकार हर महीने उन को कुछ रूपये पेंशन देती रही लेकिन जब 1980 में मिर्ज़ा बेदार बख्श की वफात हो गयी तो भारत सरकार नें उनकी बेवा यानि सुल्ताना बेगम और उन के बच्चों को पेंशन देना बंद कर दिया पेंशन बंद होने की वजह से मिर्ज़ा बेदार बख्श की फॅमिली की हालत बुरी होती चली गयी, दिन बदिन गरीबी बढ़ती चली गयी जब हालत ज्यादा ख़राब हो गये तो मिर्ज़ा बेदार बख्श की बेवा बीवी यानि सुल्ताना बेगम ने कोलकाता के डॉली गंज नाम के इलाके में चाय की एक छोटी सी दुकान खोल ली जिस से उन के बच्चों का पेट भर जाया करता था.
दोस्तों सुल्ताना बेगम को भारत सरकार की तरफ से मुग़ल सल्तनत के खानदानी होने की हैसियत से एक घर भी दिया गया था लेकिन बाद में सुल्ताना बेगम ने कईं इंटरव्यू में ये बताया था की वो घर उन से छीन लिया गया था.
किसी दौर में पुरे भारत पर हुकूमत करने वाले मुग़ल खानदान की ये छोटी सी फॅमिली कोलकाता के एक छोटे से कच्चे मकान में रहने पर मजबूर है.
दोस्तों आज के इस अर्टिकल में हमने आपको बहादुर शाह ज़फर के बचे हुए 3 बेटों में से सिर्फ 2 बेटों के बारे में बताया था अगली बार आपको बहादुर शाह ज़फर के बचे हुए तीसरे बेटे यानि किस्मत बेग के बारे में भी बताएँगे धन्यवाद.
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