Jimikand यानि Suran Farming या ओल की खती किसानों के लिए काफी लाभदायक होती है और दरअसल इसके 3 नाम है जो हमने ऊपर देख लिए, गर्मियों में इसकी खेती की जाती है इसलिए किसानों के पास सिंचाई की उचित व्यवस्था होनी ही चाहिए।
ओल खाने में बेहद स्वादिष्ट लगता है और इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं. इसकी खेती के जरिए किसान अपनी आय (Farmers Income) को बढ़ा सकते हैं, इसकी खेती काफी लाभदायक होती है तथा इसकी कीमत बाजार में कभी कम नहीं होती है। साथ ही सूरन की शेल्फ लाइफ भी अधिक होती है इसलिए इसे हरी सब्जियों की तरह जल्दबाजी में बेचने की झंझट भी नहीं होती है।
सूरन की खेती यानि ओल की खेती के फायदे
किसान ओल खेती करना पसंद करते हैं, आज ओल की खेती (Suran Farming) का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ओल ओल यानि जिमिकन्द का काफी जगह इस्तेमाल किया जाता है, ओल यानि सूरन की खेती गर्मियों में की जाती है।
ओल की सब्जी के अलावा इसका आचार भी बनाया जाता है और कई लोग इसकी चटनी भी खाना पसंद करते हैं। इसके साथ साथ इससे कई प्रकार की औषधियां भी तैयार की जाती है, किसानों को इसकी उन्नत खेती कैसे की जाती है इस बारे में उचित जानकारी होनी चाहिए ताकि वो अच्छा उत्पादन हासिल कर सकें और अच्छी कमाई कर सकें।
ओल की खेती के लिए सबसे पहले किसान भाईयो को यह जानना जरूरी है कि इसकी बुवाई गर्मी के मौसम में की जाती है इसलिए सिंचाई की अच्छी व्यवस्था किसान के खेत में होनी चाहिए।
खेत को इस तरह से करें तैयार, जिमिकन्द की खेती
ओल को जिमिकंद भी कहा जाता है, यह जमीन के अंदर होता है इसलिए ओल को ही बीज के तौर पर काम में लाया जाता है। किसान भाई इसकी रोपाई के लिए खेत तैयार करने के लिए सबसे पहले खेत की अच्छे तरह से गहरी जुताई करें, ताकि खेत में मौजूद हानिकारण जीवाणु और विषाणु खत्म हो जाएं। फिर जब खेत हल्का सूख जाए तो इसमें रोटावेटर से जुताई कर दें, इस तरह से खेत तैयार हो जाता है।
ओल यानि सूरन की खेती के लिए बलूई और दोमट की मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। खेत में प्रति हैक्टेयर 12 टन गोबर खाद खेत में अंतिम जुताई करते समय मिला दे और पाटा चला दें।
सूरन की खेती में उन्नत प्रभेद यानि अच्छे बीजों का करे इस्तेमाल
सभी ओल को बीमारियों से बचाने के लिए उन्नत प्रभेद के ओल को खेत में लगाना चाहिए उन्नत प्रभेद की औसत उपज 70 से 80 टन प्रति हेक्टेयर होती है, बीज लगाने से पहले बीजोपचार किया जाना जरूरी माना जाता है।
अगर जिमिकंद बड़ा है तो इसे 250-500 ग्राम के टुकड़े में काटकर बुवाई करें इसके अलावा खेत में यूरिया डीएपी औऱ फोस्फेट पर्याप्त मात्रा में खेत में डालें। और इसकी रोपाई नाला में करें तथा नाले से नाले के बीच की दूरी और पौधों से पौधों की दूरी 2 फीट होनी चाहिए। जिमीकंद को बुवाई क बाद मिट्टी से ढंक दे और ध्यान दे की कालिका उपर रहे तथा ओल को मल्टी क्रॉपिंग भी कर सकते हैं।
Best Business Ideas Suran Farming : ओल (जिमीकंद) की खेती से पैदावार और लाभ
ओल (जिमीकंद) के पौधे रोपाई के बाद 6 से 8 महीने में पककर पैदावार देने के लिए तैयार हो जाती है। जब इसके पौधों की पत्तियां सूखकर गिरने लगे तब इसके फलों को खुदाई कर निकल लेना चाहिए। इसके बाद उन्हें साफ पानी से धो देना चाहिए। धोये हुए फलों को छायादार जगह में अच्छे से सूखा लेना चाहिए।
इसके बाद इन्हे हवादार बोरों में भरकर बाजारों में बेचने के लिए भेज देना चाहिए। छटनी के बाद बाकी बची हुई छोटी कंदों का इस्तेमाल फिर से बुवाई के लिए बीजों के रूप में कर सकते हैं। जिमीकंद के एक हेक्टेयर के खेत में तकरीबन 70 से 80 टन की पैदावार प्राप्त हो जाती है। जिमीकंद का बाजार भाव 2000 रूपए प्रति क्विंटल के आसपास होता है, जिस हिसाब से किसान भाई इसकी एक बार की फसल से लगभग 4 लाख तक की कमाई कर सकते हैं।
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